फिर खिला है भीमपलास
और उसके चटक रंगों में
जलने लगा है मन का जंगल
सुना बसंत आया है
गुनगुनी हो गयी है ठंडी सुबह
और दोपहरी ऊंघने लगी है
बढ़ने लगा है सांझ का इंतज़ार
सुना बसंत आया है
- नूपुर
और उसके चटक रंगों में
जलने लगा है मन का जंगल
सुना बसंत आया है
गुनगुनी हो गयी है ठंडी सुबह
और दोपहरी ऊंघने लगी है
बढ़ने लगा है सांझ का इंतज़ार
सुना बसंत आया है
- नूपुर
1 comment:
वसंत आया था, ग्रीष्म छोड़ कर चला गाया |
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