Tuesday, 8 February 2011

Basant Aaya Hai

फिर खिला है भीमपलास
और उसके चटक रंगों में
जलने लगा है मन का जंगल
सुना बसंत आया है
गुनगुनी हो गयी  है ठंडी सुबह
और दोपहरी ऊंघने लगी है
बढ़ने लगा है सांझ का इंतज़ार
सुना बसंत आया है
- नूपुर


1 comment:

Amit K Gehlot said...

वसंत आया था, ग्रीष्म छोड़ कर चला गाया |